कबीर दास जी के दोहे
सोना सज्जन साधू जन, टूट जुड़े सौ बार
दुर्जन कुम्भ कुम्हार के, एइके ढाका दरार।।
अर्थ :
कबीरदास जी कहते हैं कि सोने को अगर सौ बार भी तोड़ा जाए तो भी उसे फिर जोड़ा जा सकता है। इसी तरह भले मनुष्य हर अवस्था में भले ही रहते हैं। इसके विपरीत बुरे या दुष्ट लोग कुम्हार के घड़े की तरह होते हैं जो एक बार टूटने पर दुबारा कभी नहीं जुड़ते।